गुरुवार, 11 मार्च 2010

हाल चाल ठीक ठाक है.........(एक और गीत)




पता नहीं कैसे पुरानी फिल्मो में आज के हिसाब के गीत लिखे जाते थे!आज फिर एक गीत आपके समक्ष परस्तुत कर रहा हूँ!है तो काफी पुराना पर गुलज़ार साहब का लिखा,किशोर दा और मुकेश जी का गाया ये गीत आज भी एकदम ताज़ा सा महसूस होता है!
'मेरे अपने' फिल्म का ये गीत आपके लिए,,,,,
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हाल चाल ठीक ठाक है , सब कुछ ठीक ठाक है
काम नही है वरना यहाँ आप की दूआ इस सब ठीक ठाक है

आब \-ओ \-हवा  देश  की  बहुत   साफ़  है
कायदा  है , कानून है , इनसाफ  है
अल्लाह  मियाँ  जाने  कोई  जिए  या  मरे
आदमी  को  खून  वून  सब  माफ़  है
और  क्या  कहूँ , छोटी  मोटी  चोरी
रिश्वत  खोरी  देती  है  अपना  गुज़ारा  यहाँ  
आप  की  दुआ  से  बाक़ी  ठीक  ठाक  है

गोल  मोल  रोटी  का  पहिया  चला \- 2
पीछे  पीछे  चांदी  का  रुपैया  चला  
रोटी  को  बेचारी  को  चील  ले  गयी  (ओह  तेरी )
चांदी  ले  के  मुंह  काला  कौवा  चला
और  क्या  कहूँ , मौत  का  तमाशा
चला  है  बेतहाशा ,
जीने  की  फुरसत  नहीं  है  यहाँ  
आप  की  दुआ  से  बाक़ी  ठीक  ठाक  है  ##(वैरी  गुड )##
u -tube पर देखने के लिए यहाँ  क्लिक करें.. 

 http://www.youtube.com/watch?v=NykVp7qG_Ss&feature=player_embedded 

कुंवर जी,

3 टिप्‍पणियां:

  1. कुंवरजी शुक्रिया आपने mera ब्लॉग patjhad ke ful पढ़ा और हौसला अफजाई की
    मै एक (संघर्षरत) पत्रकार हूँ , शौक है की कुछ छंद मुक्त कविताएँ लिख दिया करते है .
    अब ये सजोग की ही बात है की इस कविता के जरिये घडी भर ही सही हमारी जान पहचान हो गई .
    मैंने आपका ब्लॉग पढ़ा काफी कुछ नया सिखने मिला
    इंसा अल्ला दुआ करेंगे की आप अपने जीवन में वो मुकाम हासिल करे जो आप चाहते है

    मै फिलहाल एक प्रोडक्शन कंपनी के लिए एक डॉक्युमेंट्री पर काम कर रहा हूँ जिसमे मेरा विषय था रैग पीकर यानी कचरा चुनने वाले लोग थे ... कुछ प्रेरणा पाने और प्रेरणा लोगो में पैदा हो इसलिए ये कविता लिख दी

    anil singh from mumbai

    anilsiiingh@gmail.com

    अगर आप उचित समझे तो अपनी भी मेल आइ डी मेरे लिंक पर जरुर भेज दीजिएगा

    जवाब देंहटाएं

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