शनिवार, 27 मार्च 2010

यह तो छोटी सी बात हैहमारे बड़े से भारत देश महान में!(कविता), (वयंग्य),

भारत देश महान में,
कपडे बहुत है,
कितने ही रंगों में
कितने ही थान में!
कपडे बहुत है,
बजाज की दुकान में,
और कहीं भी तो है,
इक गरीब के अरमान में,
उसके पास नहीं है असल में,
मगर बहुत है,
अरमानो के जहान में!
कपडे नहीं है तो पहने क्या?
मत पूछो,
बताने की हिम्मत नहीं जुबान में!
हिम्मत तो तब होगी
जब पेट भरेगा,
कुछ खाने को मिले
तो पेट भी भर जाए,
कुछ करे तो कुछ मिल भी सकता है,

लेकिन!
करे क्या?
चोरी या हेरा-फेरी!हाँ!
लूटपाट के भी जरुरी नहीं लाइसेंस,
सरकारी फरमान में!
अब सरकार तो सरकार ठहरी,
वो भी जनमत से बनी हुई,
 उसकी मर्जी
उसकी मर्जी तो हमारी मर्जी,
अब हमने जो चुनी है,
सरकार!

एक तीर
जो हम पर ही चलता है,
और तना है हमारी ही कमान में!
वैसे तो वो कहीं और भी चल सकता है,
बेरोजगारी पर,
गरीबी पर,
अव्यवस्था पर!
मगर यह तो चलता है
आम जनता पर,
चलाता कौन है?
हम ही तो!
फिर अफ़सोस कैसा ,
यह तो छोटी सी बात है
हमारे बड़े से
भारत देश महान में!
कुंवर जी,
                                                                                                                           चित्र गूगल से साभार!

5 टिप्‍पणियां:

लिखिए अपनी भाषा में