शुक्रवार, 19 मार्च 2010

उनकी आस्तीन में भी सांप पलते होंगे!(वयंग्य)(कविता)

जिस तरह मिलते है हम उनसे,
उसी तरह वो भी हमसे मिलते होंगे!
जैसे हमारी आस्तीन में पले हैं,
उनकी आस्तीन में भी सांप पलते होंगे!
हमे देखते ही खिल उठता है चेहरा उनका भी,
हमारी बनावटी हंसी पर अन्दर ही अन्दर वो भी जलते होंगे!
न तो रंज है कोई न गिला-शिकवा ही हमसे,
इसी बात पर रोज़ हम उन्हें जरुर खलते होंगे!
हर बात को टाल देते है वो भी हंसी-मजाक में ही,
दिल-ओ-दिमाग में तो उनके भिकिटने ही बवंडर मचलते होंगे!
 दिलचस्पी पूरी दिखाते है वो भी हर किसी के काज में,
मौके पर क्या वो भी चतुराई से टलते होंगे!
करते है आँख मूँद कर विश्वाश उन पर भी सभी,
क्या वो भी हर किसी को हर बात में छलते होंगे!
हर बात है उनकी हम से मिलती-जुलती,
शाम-ओ-सहर दोपहर में हर पल क्या वो भी रंग बदलते होंगे?
कुंवर जी,

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी ये रचना व्यंग के साथ साथ यथार्थ भी दर्शाती है...

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  2. कुंवर जी , जामल भाई का हार्ट फेल हो गया है ,

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  3. आप सभी के पधारने का हार्दिक धन्यवाद!
    भविष्य में भी आपके यूँ ही सदैव साथ बने रहने की उम्मीद कर सकता हूँ!
    कुंवर जी,

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  4. ये रचना व्यंग के साथ साथ यथार्थ भी दर्शाती है...

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  5. बढ़िया दिल से निकला व्यंग्य ! शुभकामनायें !

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  6. dedicated to "M" to likh deta. Aur kaun se wala "M", ye tu khud decide kar le...........

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