कितने ही भजन हमारे दिल को छू जाते है!कुछ तो शत-प्रतिशत हमारे दिल कि बात कहते से प्रतीत होते है!ऐसे ही कुछ एक भजनों में से एक आज आप के लिए लाया हूँ!मुझे नहीं पता था कि किसकी रचना है,किसने संगीत दिया है और किसने गाया है!लेकिन सभी कुछ चरम पर है अपने,लेखन,गायन और संगीत!सभी कुछ!शब्दों की गहराई को महसूस करें....
ये गर्व भरा, मस्तक मेरा
प्रभु चरण धुल तक झुकने दे,
अहंकार विकार भरे मन को
निज नाम की माला, जपने दे
ये गर्व भरा....
मै मन के मैल को धो न सका
ये जीवन तेरा हो न सका!-2
हाँ !हो न सका,
मै प्रेमी हूँ,इतना ना झुका!
गिर भी जो पडूँ तो, उठने दे!
ये गर्व भरा....
मैं ज्ञान की बातों ने खोया,
और कर्म-हीन पड़कर सोया!-2
जब आंख खुली तो मन रोया;
जग सोये मुझको जगने दे!
ये गर्व भरा....
जैसा हूँ मै खोटा या खरा,
निर्दोष शरण में आ तो गया!-2
हाँ, आ तो गया!
इक बार ये कहदे खाली जा,
या प्रीत की रीत छलकने दे!
ये गर्व भरा....
गूगल पर ढूँढा तो नीचे दिया गया लिन्क मिला इस भजन को सुनाने के लिए...!चित्र भी गूगल से ही उठाया है!
सुने आराम से!
http://www.youtube.com/watch?v=JNgJiFWy3xA
जय हिंद,जय श्री राम!
कुंवर जी,
बहुत पहले हरिओमशरण की आवाज मे सुन था........
जवाब देंहटाएंआभार इस भजन को सुनवाने का..पढ़वाने का!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा भजन है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया भजन ......बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंभगवान का ध्यान करवाने पर धन्यावाद
जवाब देंहटाएंthis is also my favourite bhakti song
जवाब देंहटाएंthanks for it
हरिओम शरण जी के गाये सभी भजन बेहद खूबसूरत हैं.आप की पसंद भी उम्दा है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भजन ..
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