सोमवार, 30 मई 2011

पेड़ों की नब्ज थाम, उनकी सांसों को लेते हैं सहेज,ये चमत्कार ही तो है!...(कुँवर जी)

हमारे जीवन में पेड़ो का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है!इनकी अनुपस्थिति में हमारे जीवन की कल्पना करना भी बेहद दुखद है!अपनी कितनी ही जरूरते हम इनसे पूरी करते है!
और कितनी ही यादें हमारी जुडी होती है हमारे आस-पास के पेड़ो से!

लेकिन हमारी अन्य जरूरते इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण हमें अब लगने लगी है कि हम उन्हें पूरा करने के लिए कोई भी पेड़,कितना भी पुराना पेड़ कुछ क्षणों में उखाड़ फेंकते है!सब यादें उस पेड़ की,हमारी उस पेड़ से जुडी सब बाते सब फिजूल हो जाती है!
हम ये भी भूल जाते है की ये पेड़ कितना प्राचीन है?


कुछ भी तो हम याद नहीं रख पाते,या रखना नहीं चाहते,जो भी! कई बार ऐसा भी होता है जिसको उस पेड़ को उखाड़ने की जिम्मेवारी मिली होती है उसे उस पेड़ से कोई लेना-देना नहीं होता,कोई भावनात्मक लगाव उसका पेड़ से नहीं होता!उसे तो बस अपना काम करने के पैसे लेने होते है!सो वह तो केवल अपना काम भर करता है,लेकिन असल में एक बहुत पुराना और महत्वपूर्ण पेड़ हम खो चुके होते है!




















अभी पिछले दिनों हमारी कम्पनी परिसर में भी ऐसी ही एक दुर्घटना घटी!एक बहुत प्राचीन और विशाल पीपल का पेड़ कटवा दिया गया!हालांकि हिन्दू धर्म की मान्यताओ के हिसाब से यथासंभव उसकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना और ब्रहमहत्या से लगने वाले पाप से बचने के लिए क्षमायाचना  भी की गयी!पर ये सब उस पेड़ बचा नहीं सकी!

जब वो पेड़ काटा जा रहा था तो एक अजीब सा सूनापन  मस्तिष्क में फ़ैल रहा होता था!मन बचपन के उन दिनों में चला जाता था जब हम कोई छोटा पौधा उखाड़ कर लाते थे कहीं से,उसकी जड़े मिटटी में लपेट सपेट कर,अपने आँगन या खेत में लगाने के लिए!और लगा देते थे,कुछ पौधे आज पेड़ बन चुके है,कुछ तभी सूख भी गए थे!वो बाते ही याद आ रही थी!सोचते की काश इतने बड़े और पुराने पेड़ को भी हम उखाड़ कर दूसरी जगह लगा पाते तो शायद ये पेड़ बच जाता!
पिछले दिनों अखबार में एक खबर पढ़ी तो ख़ुशी का ठिकाना न रहा!अरे नहीं..!वो कम्पनी वाला पेड़ दुबारा नहीं उग आया था,वो खबर थी पेड़ को एक जगह से दूसरी जगह लगाने वाली खबर!

जिसे मै असंभव सा सोच रहा था एक हरियाली नामक संस्था उसे पूरी श्रद्धा और समर्पण कर रही है!उनकी ये मुहीम मुझे तो बहुत ही अधिक सरहानीय और एक तरह से मानव जाती पर परमात्मा का आशीर्वाद सा लगी!

ये है उस संस्था का इन्टरनेट पर लिंक !
यहाँ आप इस संस्था के बारे में विस्तार से जान पायेंगे!


मानवता  के हित किया जाने वाला ये अद्भुत प्रयास चमत्कार ही तो है!क्या ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहन नहीं मिलने चाहिए! समय और जानकारी के अभाव में मैंने ये एक तुच्छ सा प्रयास किया है यदि उचित लगे तो आप भी यथा संभव प्रयास करे!हो सकता है आपका ये प्रयास किसी की कोई सुनहरी स्मृति,किसी की आस्था,और पृथ्वी और मानवता के लिए एक पेड़ सहेजने का कारण बन जाए.....

जय हिंद,जय श्रीराम,
कुँवर जी,

शनिवार, 14 मई 2011

ये वर्दी वाला कुछ खाता नहीं क्या...?

मैंने देखा
पतली सी कमर,
कमजोर से कंधे,
वाला एक आदमी
और वो भी वर्दी वाला....










अरे  ये कुछ खाता नहीं क्या...?


जय हिंद,जय श्रीराम,
कुँवर जी, 

शुक्रवार, 6 मई 2011

आतंकवादी देश पाकिस्तान है या भारत....????


अभी कुछ देर पहले ही मोबाइल में एक लघु सन्देश पाप्त हुआ!उसे पढ़ कर एक बार तो दिमाग सोचने पर मजबूर हुआ!फिर मैंने महसूस किया की मै  मष्तिष्क को उस विचार से सहमती से नहीं रोक पा रहा हूँ!जब मै ये सहन नहीं कर पाया तो सोचा आप सब की राय ली जाए!

उस सन्देश का तात्पर्य यही था कि आतंकवादी देश पाकिस्तान नहीं बल्कि   भारत है!

आप सहमत इस विचार से...???
मुझे नहीं लगता कि कोई भी भारतीय इस से सहमत होगा!पर जो सन्देश था वो ये है....

"पाकिस्तान में कोई भी सुरक्षित नहीं है,यहाँ तक कि ओसामा बिन लादेन तक भी नहीं!
जबकि भारत में हर कोई सुरक्षित है,अजमल कसाब,अफज़ल गुरु...सभी!

अब आप क्या सोच रहे है..??
हो सके तो सूचित जरूर करना....

जय हिंद,जय श्रीराम,
कुँवर जी, 

गुरुवार, 5 मई 2011

मजबूर होते है वो भी और हम भी....(कुँवर जी)

कुछ पत्ते दूर पड़े,
ज्यादा नहीं थोड़ी सी दूर पड़े
अपने पेड़ से
कराह रहे थे....
मैंने
जो उठाया उनको
प्यार से
वो तो
मुस्कुराने लगे!


सूख चुके थे
जाने कब टूटे होंगे
शाख से,
मैंने
कब उनको उठाया था
शाख से जोड़ने के लिए,
वो;
फिर भी गुनगुनाने लगे!


मजबूर तो होते है वो
भी और हम भी
ये सच है,
तभी तो
उस
पेड़ की आँखों में भी
आंसू आने लगे!


जय हिंद,जय श्रीराम,
कुँवर जी,

लिखिए अपनी भाषा में