बुधवार, 28 दिसंबर 2011

कमाल है ब्लोग्गेरो के मेल-जोल होने पर भी कसी को किसी तरह का द्वेष हो सकता है....?(कुँवर जी)

सर्वप्रथम तो आप सभी को हाथ जोड़ कर राम राम!
तत्पश्चात सूर्य-गति आधारित वर्ष-परिवर्तन पर शुभकामनाये!
बहुत दिनों बाद आज ब्लॉग पर आना हुआ!आते ही जो ब्लॉग पढ़ा वो थोडा अजीब सा लगा!मानव वृत्ति है की वो अपनी जान-पहचान का दायरा बढाए!उस में जो अच्छाईयाँ  है या जो कुछ भी उसे अच्छा पता है उसे दूसरो तक पहुंचाए!बिना मिले ही जिनसे अनोखी प्रीत सी हो गयी है उनसे प्रत्यक्ष मिले!

और यदि इस से किसी का किसी भी प्रकार से कोई नुक्सान नहीं है तो संभवतः ये ऐसा होना वाकई बहुत अच्छा है!इस में तो किसी को किसी भी प्रकार का बुरा नहीं देखना चाहिए!मुझे तो ऐसा ही लगता है!और कम से कम ऐसे मिलन में शरीक़ हुए बिना उस पर "समय के गवाने" जैसा गंभीर आरोप  लगाना तो कदापि उचित नहीं होगा!हमें अपनी सोच का दायरा अवश्य ही बढ़ाना चाहिए!ऐसी छोटी ब़ातो को तो हमें कही भी जगह नहीं देनी चाहिए!


एक बार फिर सभी को शुभकामनाये.... अन्ना जी को भी....... और कांग्रेस सरकार को भी.......!




जय हिन्द, जय श्रीराम!
कुँवर जी,

लिखिए अपनी भाषा में