बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

फिट्टे मुह!फिर घर फोन मिल गया......!!!!(कुँवर जी)



फोन की घंटी बजती है.......बजती रहती है...... और फिर तंग आकर श्रीमती जी को फोन उठाना ही पड़ता है!उधर से बहुत ही प्यार और दुलार भरी आवाज आती है..."जान.... काफी देर से कॉल नहीं की थी...सोचा आप मिस कर रही होंगी सो कॉल कर ली,कैसी हो.!"


श्रीमती जी तनी भृकुटियो को थोडा आराम देते हुए..."मै तो ठीक हूँ, वो पंद्रह मिनट पहले जो गाली-गलौच की जा रही थी उसका क्या.....????

उधर से.."फिट्टे मुह!फिर घर फोन मिल गया......!!!!


राम राम जी,
कुँवर जी, 

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

कहा है साहस खुद को उघाड़ने का....(कुँवर जी)

सब विषयो,
शीर्षकों,
मुद्दों,शब्दों को
इक्कठा कर
जब
कुछ लिखने  की सोचता हूँ
तो एक-एक कर के
सब दूर जाते दिखते है....
बस
रह जाता हूँ
खड़ा मै अकेला
और
बात मुझ पर आकर
रुक ही जाती है....

और फिर क्या....

सब मौन....

कहा है साहस खुद को उघाड़ने का....????

कुँवर जी,

बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

ताकि जो जैसा है वो रहे वैसे ही...

ओस की बूंदे जम गयी थी पलकों पर,
अब झपकते तो मोती झर नहीं जाते,


साँसों में भर ली थी सुगंध जीवन की.
अब उन्हें छोड़ते तो मर नहीं जाते,


सपनो में बदल गयी थी जिंदगी,
जागते तो सपने बिखर नहीं जाते,


तभी तो....

तभी तो
हमने रोक ली थी सांस,
झपकने नहीं दिया पलकों को
और न खुलने दी आँख सो कर एक बार!
ताकि जो जैसा है वो रहे वैसे ही...
वैसा ही...! 


कुँवर जी,
जय हिंद,जय श्रीराम!

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