सोमवार, 23 अप्रैल 2012

शब्द फूटे तो कहा धरूँ मै....(कुँवर जी)

 जो मुझे पसंद है
वो तो
होता नहीं..
जो हो रहा है
उसे ही पसन्द न करूँ तो
क्या करूँ मै!

झेल गया जब
मै
जो बीत चूका,
अब तो जो  भी बीते
भला उस से
क्या डरूँ मै !

गैरो से बच कर 
आया था 
अपनों की ओट में,
अब अपनों से
बचने के लिए
किसकी ओट करूँ  मै!


बहुत पीता हूँ
आंसुओ को
बिना शोर के,
ये शब्द
न माने मेरी,
फूटे तो
इन्हें कहाँ  धरूँ मै! 





जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर  जी,

शनिवार, 21 अप्रैल 2012

भावनाओ के बंजर में भी फूल खिलते है....(कुँवर जी)

भावनाओ के बंजर में भी
फूल खिलते है
एक सहरा
तो अपना
बना के देखो! 
पंक्तियों की कोंपले
भी फूटेंगी
कुछ शब्द तो 
रेत  में
बिखरा के देखो!
कविताओ की फसल
भी लहलहाएगी खूब
संवेदनाओं से
उन्हें
सींच कर तो देखो!


जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी,





गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

गौहत्या विरोध और इस विरोध का विरोध....(कुँवर जी)

एक वें लोग भी है जो विदेशो में रह कर भी अपने देश में चेतना जगाने के लिए यथासंभव प्रयास करते रहते है और एक ये भी है जो अपने देश में ही रहते हुए भी स्वयं तो कुछ करते नहीं अथवा कर नहीं पाते परन्तु जो इसके लिए चिंतित है उनकी निंदा करने के लिए समय अवश्य निकाल लेते है!

आदरणीय दिव्या जी(Zeal ) जी ने गौहत्या के विरोध में निम्न चित्र वाली पोस्ट लगाई!


अनवर जमाल साहब ने अपने स्वभाव के अनुसार उस पोस्ट का पंचनामा   खूब किया!यही पर कुमार राधारमण जी ने दिव्या जी की इस पोस्ट समेत कई पोस्ट निंदनीय बतायी!तो हमने वहा ये सवाल किया कि
"चलो डॉ. साहब तो अपना धर्म निभा रहे है;मेरा सवाल आदरणीय कुमार राधारमण जी से ये है.....
कृपया कर बताये की उस पोस्ट में आपको क्या आपत्तिजनक लगा....???"
अब आदरणीय हकीम अनवर जमाल साहब जी....
यदि आपको शर्म न आये तो कृपया कर बताये की आपको मेरी टिप्पणी में ऐसा क्या आपत्तिजनक लगा कि न केवल आप ने मेल पर इसकी मुझे शिकायत की,न केवल ऐसा न करने कि नसीहत दी बल्कि मेरी टिप्पणी डिलीट भी कर दी!

मै आपसे अपेक्षा कर सकता हूँ कि आप गुपचुप तरीके से मेल पर ही मुझे नहीं समझायेंगे अपितु यही मेरी असमंजस का निवारण कर देंगे! 



जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर  जी,

मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

लगता है कांग्रेस सरकार ने भगवान् के साथ मुलायम या ममता के जैसे कोई गठबंधन कर लिया है!

लगता है भगवान् ने भी कांग्रेस सरकार को समर्थन दे दिया है या फिर कांग्रेस सरकार ने भगवान् के साथ मुलायम या ममता के जैसे कोई गठबंधन कर लिया है!तभी तो..... जब गेहुओ को पानी की जरुरत थी तब सरकारसही बिजली नहीं दे रही थी और वो भगवान् भी बारिश नहीं कर रहा था! और अब जब फसल कटाई के लिए बिलकुल तैयार है तब बिजली भी पहले से सही है और बारिश.... उसमे परमात्मा ने मौज कर रखी है!रही-सही कसर औलो ने पूरी कर दी!

पिछले कई महीने जिस फसल के लिए किसान दिन-रात एक कर के मेहनत कर रहा था और जब उसका फल मिलने ही वाला था....लगभग मिल भी गया था....क्योकि खेत में सोने के जैसे लहलहाती गेहूं की बैल देख कर उसकी सारी थकान और दिक्कत जो उसने पिछले कुछ महीनो में उठाई थी बहुत छोटी लग रही थी उसे.....पर ....!

नया सूरज उगते ही जो फसल लहलहा रही थी कल तक आज बरसात और औलो की मार से भारत की जनता के जैसे ज़मीन पर बिछी पड़ी थी और देख रही थी किसान की और जो की भगवान् की और टकटकी लगाए हुए था!

भगवान् की ये कांग्रेस नीति..... किसान को कही का नहीं छोड़ा!



जैसे भारत की जनता चुनावों से पहले खूब जोश दिखाती है...कांग्रेस को चुनती है फिर मंहगाई ,भ्रष्टाचार,घपले-घोटाले की बारिश और ओलावृष्टि से ज़मीन पर बिछ जाती और फिर कांग्रेस सरकार की ओर देखती है जो की भगवान् की ओर देख रही होती है....
 
 
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी,

बुधवार, 4 अप्रैल 2012

एक कर्म हमारा पूरा जन्म बिगाड़ देता है और उसका फल न जाने कितने जन्म.........(कुँवर जी)

हम जो भी कर रहे है है या कर चुके है अथवा तो करने वाले है,सबका परिणाम तभी...करते ही पाना चाहते है!कई बार तो उसके गलत परिणाम की आशंका से उसके फल को ही नहीं चाहते!और तब प्रसन्न भी तो होते है जब उसका परिणाम हमें मिलता दिखाई नहीं देता!कई बार कुछ अच्छा परिणाम पाने हेतु जो कर्म हम करते है और जब वैसा ही परिणाम हमें हमारी आवश्यकतानुसार नहीं मिलता तो दुखी भी होते है!

पर कौन जाने कि कोन सा कर्म हम फल पाने के लिए कर रहे है अथवा ये कर्म पिछले किसी कर्म का फल है???अब पिछला कितना...ये भी प्रशन!इसी जन्म का या पिछले किसी और जन्म का..??और फिर कहते है कि हम कुछ कर ही नहीं सकते,सब वो"

अब मै जहा उलझता हूँ वो ये बात है कि यदि उपरोक्त बाते सत्य है तो..... हम कर क्या रहे है?


एक कर्म हमारा पूरा जन्म बिगाड़ देता है और उसका फल न जाने कितने जन्म.......????

लिखिए अपनी भाषा में