सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

प्रतिक्रिया......(कुँवर जी)

अभी अनामिका जी को यहाँ पढ़ा तो   
सच में बोलती ही बंद हो गयी!कई दिन बाद स्वतः ही कुछ मौन से फूटा!आज वो ही आपके समक्ष!आज हम सब बुत से बन गए है!कोई प्रतिक्रिया कर ही नहीं रहे है है किसी भी कुरीति के विरोध में!बस आज यही....


देशवासियों तुम मूक ही रहना....
जब खुद की बारी आएगी..
तब आत्मा तक चिल्लाएगी,
सब चीख-ओ-पुकार तुम्हारी
सुन कर भी अनसुनी हो जायेगी,
तब तक
देशवासियों तुम मूक ही रहना....
 

तड़पती-तरसती आँखे तुम्हारी
जैसे अब तुम मूक हो,
तब सब को मूक देख पछताएगी!

बिना पछताए कहा 
हमारे बात समझ में आएगी!
तो 
तब तक
देशवासियों तुम मूक ही रहना...!


जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी,

गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

सौ संस्कारों के ऊपर भारी मजबूरी एक .... (कुँवर जी)

सौ संस्कारों के ऊपर भारी मजबूरी एक
आचरण बुरा ही सही पर है इरादे नेक!

खुद बोले खुद झुठलाये जो करे कह न पाए
अजब चलन चला जग में चक्कर में विवेक

भ्रष्टाचार से लड़ाई में हाल ये सामने आये
विजयी मुस्कान लिए सब रहे घुटने टेक!

मेहनत से डर कर खुद को मजबूर कहलवाए 
जब तक मौका न मिले तब तक है सब नेक!

जय हिन्द, जय श्रीराम, 
कुँवर जी

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