बुधवार, 26 जून 2013

प्रकृति ने की क्रिडा तो उपजी पीड़ा...(कुँवर जी)

जब तक चली तो खूब खेला
मानव प्रकृति संग
और जब
प्रकृति ने की क्रिडा
तो उपजी पीड़ा,
विश्वाश 
कही घायल पड़ा
लोगो से नजरे चुरा
कराह रहा है,
श्रद्धा
किसी पेड़ की टहनी में
अटकी हुई सी
किसी कीचड़ में दबे चीथड़े में
सिमटी हुई सी मौन है!
आस है कि
टकटकी लगाये बैठी है
उसी की और ही
जिसने
ये तांडव मचाया है!


जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी

गुरुवार, 20 जून 2013

आज निर्जला एकादशी है!



ॐ नमः भगवते वासुदेवाय!
आज निर्जला एकादशी है!संयोग और सौभाग्य से आज ये त्रिस्पर्षा एकादशी भी है,अर्थात आज एकादशी के साथ द्वादशी और त्रयोदशी तिथियों के योग का संयोग है जो कि बहुत कम देखने को मिलता है!






वैसे तो वर्ष कि सभी चौबीस एकादशियो को निराहार रह कर उपवास करना चाहिए लेकिन यदि हम सभी न रख सके तो निर्जला एकादशी का व्रत अवश्य ही रखना चाहिए!महर्षि वेड व्यास जी ने भीमसेन को बताया था कि सभी एकादशियो के बराबर निर्जला एकादशी है! और जब त्रिस्पर्षा एकादशी हो तो ये एक हजार एकादशियो के सामान बताई गयी है!इसे भीमा एकादशी और पांडव एकादशी भी कहते है!
 






आज के दिन निराहार तो रहना ही होता है संग में पानी भी नहीं पीना होता है!एकादशी का दिन भगवान् विष्णु जी को स्मरण करते हुए बिताना चाहिए!
ॐ नमः भगवते वासुदेवाय!
ॐ नमः भगवते वासुदेवाय!
ॐ नमः भगवते वासुदेवाय!
 यही जप मानसिक अथवा वाचिक चलता रहना चाहिए!




आज के दिन  कितने ही लोग जगह-जगह प्याऊ लगाते है!राहगीरों को ठंडा और मीठा जल पिलाते है!कुछ ऐसे भी नारायण सेवा-स्मरण करते है!

निर्जला एकादशी के बारे विस्तृत रूप से पढने के लिए आप यहाँ देख सकते है!

जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी,

बुधवार, 19 जून 2013

विवादित धारावाहिक "जोधा-अकबर" पर प्रतिक्रिया......(कुँवर जी )

 जी टीवी पर दिखाए जाने वाले विवादित धारावाहिक "जोधा-अकबर" पर अपनी प्रतिक्रिया जी टीवी तक सीधी पहुंचाए!
 पता  लगते रहना चाहिए कि  वो क्या दिखा रहे है उसका इस देश पर, समाज पर, इतिहास पर  और उनकी साख पर क्या प्रभाव पड़  रहा है!


प्रतिक्रिया देने के लिए यहाँ क्लिक करे!

जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर  जी

सोमवार, 17 जून 2013

"जानवर" ......(कुँवर जी)

 एक बहुत  ही आधुनिक लड़के का विवाह कुछ पुरानी विचारधारा और कम अंग्रेजी भाषा-संस्कृति की जानकार लड़की से हो जाता है!
लड़की बहुत सीधी सी थी!पुराने धारावाहिकों में जो पत्नी अपने पति को संबोधित करती वही संबोधन उसे स्मरण में थे,अन्य नहीं!
उसका पति आया और बड़े प्यार से उसे पुकारा!अब लड़का थोडा आधुनिक तो था ही साथ अंग्रेजी भाषा और संस्कृति को दर्शाने वाला भी था!उसने बड़े ही प्यार से अपनी पत्नी को आवाज लगाई... जान!
अब लड़की को "जान" की उम्मीद तो कतई नहीं नहीं थी!वो बेचारी सोचती-विचारती चुप रही!लड़के ने फिर अपना पूरा प्यार उड़ेलते हुए आवाज लगाईं... "जान, तुम बोलती क्यों नहीं!"
लड़की बेचारी असमंजस में.... एक तो घूंघट निकाले हुए थी सो अब ये भी पक्का नहीं कि उसे ही बुलाया जा रहा है अथवा तो किसी और को!
अब लड़के का सब्र भी थोडा उखाड़ता सा प्रतीत हुआ! उसने लड़की का हाथ पकड़ते हुए अपना समस्त प्यार घोलकर फिर कहा.. जान!
अब लड़की ने भी  उतने ही, नहीं उस से भी ज्यादा प्यार सहित उत्तर दिया.... "जानवर"!

(बहुत पहले सुनी हुई एक बात!)

जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी,

लिखिए अपनी भाषा में